Tuesday, November 10, 2009

मेरी सच बात का उसने यूँ जवाब दिया

anabii कह दिया ,गैर का खिताब दीया।चलो छोडो कोई बात और करो ना अब जुमला कहके यही मुझपे बना दबाब दीया।बुतपरस्त कह कर ज़माना बुलाता हैं मुझको मैंने तस्वीर पे उसकी यूँ गिरा नकाब दीया।ज़िन्दगी कहता है और मूद्दतों नहीं मिलता और जब भी मिला ,मुझको सूखा गुलाब दीया।हम दोस्त हैं,नहीं दोस्ती मारा करती कभीबेवफाई का अपनी यह उसने हिसाब दीया।कसीदे ज़माल के तेरे पदेगा शायर “दीपक ”हुनर ख़ुदा ने मुझे यूँ ,तूझे हिज़ाब दीया।सर्वाधिकार सुरक्षित @ दीपक शर्मा

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