Saturday, October 16, 2010

विजयादशमी


From Untitled Album


आप सबको विजयादशमी पर्व की मंगल कामनाएँ .सत्य की जय हो,धर्म की जय हो,ईश्वर की जय हो.हमारे ह्रदय में मानवता का वास हो ,देश ,संस्कृति ,बुज़ुर्ग,के प्रति नेह रहे . परोपकार की भावना उम्र तक साथ रहे .हम सदाचारी बनें.

"ज़ुल्म कितना ही सबल हो,तम हो कितना ही प्रबल
झूट,फरेब,मक्कारियों के,चाहे संघठित कितने ही दल,
जाल कितना ही महीन चाहे,मिलकर बुने कुसंगतियाँ,
और चाल कैसी भी चले, हो एकजुट दुश्प्रव्रतियाँ
पर सत्य की जब एक किरण,सिर अपना कहीं उठाती है
चीर कर सीना तिमिर का,“दीपक” दीप्ति मुस्कुराती हैं

दीप्ति मुस्कुराती हैं

दीप्ति मुस्कुराती हैं

दीप्ति मुस्कुराती हैं

@कवि दीपक शर्मा